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नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय के बी.एड. सत्र में देरी से छात्र चिंतित – Palamu News

सत्र में देरी से छात्र चिंतित, नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय के बी.एड. कॉलेजों की हालत खस्ता

मेदिनीनगर: नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय (एनपीयू) के अंतर्गत आने वाले बी.एड. कॉलेजों की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। शैक्षणिक सत्र 2023-25 के पहले सेमेस्टर की परीक्षा अब तक नहीं हो पाई है। परीक्षा फॉर्म भरने की प्रक्रिया भी शुरू नहीं हुई है, जिससे छात्रों में गहरी चिंता और निराशा व्याप्त है।

शैक्षणिक सत्र में देरी:

बी.एड. सत्र 2023-25 की पहली सेमेस्टर परीक्षा का आयोजन अभी तक नहीं हो पाया है। सामान्यत: इस समय तक परीक्षा संपन्न हो जानी चाहिए थी, लेकिन लगातार देरी के कारण छात्रों का भविष्य अनिश्चितता में है। कई छात्रों ने इस देरी के चलते अन्य शिक्षण और करियर विकल्पों में भी बाधाओं का सामना किया है।

2022-24 बैच की भी देरी:

शैक्षणिक सत्र 2022-24 के दूसरे सेमेस्टर की परीक्षा फॉर्म भरने की प्रक्रिया हाल ही में पूरी की गई है, जो कि एक साल की देरी से हुई है। इस समय विश्वविद्यालय को 2022-24 बैच की अंतिम परीक्षा (चौथे सेमेस्टर) का आयोजन करना चाहिए था, लेकिन परीक्षा प्रक्रिया में हो रही इस देरी ने छात्रों के भविष्य को लेकर चिंता बढ़ा दी है।

छात्रों की चिंता:

छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन की इस लापरवाही से उनका भविष्य दांव पर लग गया है। एक छात्र, सौरभ कुमार ने कहा, “हम अपने करियर को लेकर बेहद चिंतित हैं। परीक्षा न होने से हमें आगे की पढ़ाई और नौकरियों में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।”

प्रशासनिक लापरवाही:

छात्रों का आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रशासन की लापरवाही के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। उन्होंने मांग की है कि जल्द से जल्द परीक्षा तिथियों की घोषणा की जाए और फॉर्म भरने की प्रक्रिया शुरू की जाए।

विश्वविद्यालय प्रशासन का पक्ष:

विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से अभी तक कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है। हालांकि, उम्मीद की जा रही है कि उच्च शिक्षा निदेशालय इस मामले को संज्ञान में लेकर आवश्यक कदम उठाएगा।

आगे की राह:

इस स्थिति में सुधार लाने के लिए आवश्यक है कि विश्वविद्यालय प्रशासन शीघ्रता से कार्यवाही करे। छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए, परीक्षा प्रक्रिया को जल्द से जल्द शुरू करना चाहिए ताकि उनकी पढ़ाई में किसी प्रकार का व्यवधान न हो।

छात्रों की समस्याओं को समझते हुए, विश्वविद्यालय प्रशासन को चाहिए कि वे त्वरित और प्रभावी कदम उठाएं ताकि शैक्षणिक सत्र को समय पर पूरा किया जा सके और छात्रों का भविष्य सुरक्षित रह सके।